आज फिर इश्क़ करने की अभिलाषा है। उनको अपने आग़ोश में लूँगा यह आशा है। अरसों बीत गए है उनसे रूबरू हुए। अब बिन पल गँवाये मिल आने की जिज्ञासा है। उनके रूप का दीदार तो हमेशा करता हूँ। लेकिन हक़ीकत देखने को दिल प्यासा है। रोना धोना तो बिछड़न में हो ही जाता है। लेकिन मिलन का वक़्त है, बड़ा सोणा-सा है। पता नहीं वो कैसी होगी मुझसे दूर रहकर। सोचता हूँ ठीक होगी यह दिल को दिलासा है। अब जल्दी से मिलने की तलब लगी है दिल में। वक्त भी बहुत हो गया और अब शीतवासा है। By Hariram Regar
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।3।