Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2021

तेरा इन्तजार रहेगा | Tera Intzaar Rahega | By Hariram Regar

तेरा इन्तजार रहेगा मैं तुझसे हूँ मीलों दूर , तू  मु झसे है   कोसों दूर।  रहूँ मैं चाहे कैसा भी पर, प्यार करूँ तुझसे भरपूर।  ऐ सनम ! नहीं भूला तुझको , मुझको तुझसे प्यार रहेगा। बस तू मेरा इन्तजार कर , मुझको तेरा इन्तजार रहेगा॥ 1 ॥ हर पल हर क्षण याद करूँ मैं , भगवन से फरियाद करूँ मैं , जाने वो पल कब आएगा ? फिर भी वक्त बर्बाद करूँ मैं। तू मेरी रानी बन घर आये, ये दिल तेरा दिलदार रहेगा। बस तू मेरा इन्तजार कर , मुझको तेरा इन्तजार रहेगा॥ 2 ॥ तू मुझसे मौन थी पर , मैं न समझा तू नाराज़ है। तेरी इस ख़ामोशी में भी कोई न कोई राज़ है। तू ये ख़ामोशी भी बनाये रख, तेरी इस ख़ामोशी से भी प्यार रहेगा। बस तू मेरा इन्तजार कर , मुझको तेरा इन्तजार रहेगा॥ 3 ॥ ---By Hariram Regar Tera Intazaar Rahega main tujhse hoon meelon dur, Tu mujhase hai koson dur. rahoon main chaahe kaisa bhee par, pyaar karoon tujhase bharapoor| E sanam! nahin bhoola tujhak...

बचाए अपनी धरती मात को | Bachaye Dharti Maat ko | By Hariram Regar

बचाए अपनी धरती मात को होम हो रहा है धरती का  प्रदूषण ने डाला डेरा , मानव के कुकर्मों  का  फैला है चहुँ और अँधेरा , बदलो अपनी आदत को समझाओ मानव जात को।  आओ हम सब मिलके बचाए  अपनी धरती मात को।  कुछ वर्षों से धरती मा ता  दुःख -कष्टों में पड़ी है,  अब नहीं सहन कर सकती है , यह विनाश कगारे खड़ी है , अगर सुख से जीना चाहो  रोको दुःख की रात को , आओ हम सब मिलके बचाए  अपनी धरती मात को।  सुख के साधन हमने, तुमने खोजे  कर लिया सुख का आभास , इतना सा सुख ढेरों दुःख देगा, कर देगा हमारा विनाश , हम अपना तो भला सोचें  पर न आने दे विनाश की वात को , आओ हम सब मिलके बचाए  अपनी धरती मात को।  नहीं विरासत में मिली हमें यह  लिया पूर्वजों से उधार हमने , क्या देंगें हम भावी पीढ़ी को  अगर किया इसे बीमार हमने , सोचो अपने मन ही मन  और उत्तरित करो इस बात को , आओ हम सब मिलके बचाए  अपनी धरती मात को।  आज नही तो कल यह हम पर  सारा क्रोध उगल द...

Popular Posts

जय चित्तौड़(गीत)

'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की,  दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar ************************************************ कभी मक्की, कभी गेंहूँ, कभी है ज्वार की रोटी।  मेरी माता बनाती है, कभी पतली, कभी मोटी।  मगर क्या स्वाद आता है, भले वो जल गई थोड़ी।  नसीबों में कहाँ सब के, है माँ के हाथ की रोटी।।                                                                                                 ©Hariram Regar ************************************************ कोई नफ़रत है फैलाता, कोई बाँटे यहाँ पर प्यार।  कहानी और किस्सों से खचाखच है भरा संसार।  यहाँ कुछ लोग अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने फिरते।  मगर किस्से नहीं कहते जहाँ खुद ही है वो गद्दार।।               ...

Self Respect || By Hariram Regar

स्वाभिमान(Self Respect)  जिस दिन तेरे हाथ में लाठी होगी। जिस दिन तेरी साँझ ढलेगी। वो दिन कितना प्यारा होगा? जिस दिन तू "हरि" से मिलेगी। ये लब्ज़ तेरे है, वचन तेरे है। इन वचन पे आँच न लाऊँगा। मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला। मान नहीं खो पाऊँगा। जो तेरा मेरा यह रिश्ता है।  इसका तुझको कोई भान नहीं। मेरे गाँव से तेरा क्या नाता? इसका भी तुझको ध्यान नहीं। और तेरे गाँव में तेरा "सब कुछ" है। ये बात मैं कैसे पचाऊँगा? मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला  मान नहीं खो पाऊँगा। ये इत्तिफ़ाक रहा या मक़सद था ?  इस ज्ञान का मैं मोहताज़ नहीं। मैं ज़मीं पे चलता मानव हूँ, तेरे जैसा अकड़बाज़ नहीं।  जिस घर में कोई मान न हो,  उस घर आँगन न जाऊँगा।  मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला  मान नहीं खो पाऊँगा। कितने घूँट ज़हर के पीऊँ? कितने झूठ सहन कर जीऊँ? मैं सीना ठोक के चलने वाला  ये ज़मीर ना माने झुक के जीऊँ। अरे झुकने को सौ बार झुकूँ मैं। पर हर बार नहीं झुक पाऊँगा। मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला मान नहीं खो पाऊँगा। --- Hariram Regar #SundayPoetry