नारी के हौसले और न्याय की पुकार: एक संवेदनशील कविता | Hindi Kavita/Poem | By Hariram Regar Tags: हिंदी कविता, नारी सशक्तिकरण, महिला अधिकार, न्याय की पुकार, संवेदनशील कविता, कोलकाता दुष्कर्म और हत्या कांड, निर्भया कांड आज के समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों और उनकी हिम्मत को सलाम करती हुई हरिराम रेगर की यह कविता आपके सामने प्रस्तुत है। यह कविता न केवल महिलाओं की पीड़ा और संघर्ष को व्यक्त करती है, बल्कि उनके अंदर छिपी हुई शक्ति और साहस को भी उजागर करती है। कई बार समाज ने महिलाओं की आवाज़ को दबाया है, जैसे हाल ही में कोलकाता में हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। यह घटना न सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि न्याय की प्रक्रिया पर भी गहरा प्रभाव डालती है। याद कीजिए निर्भया कांड को, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस घटना ने यह साबित किया कि समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ कितनी भयावह हो रही हैं। इन घटनाओं ने न्याय की मांग को और भी प्रबल किया और समाज में बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया। कविता: लेखक: हरिराम रेगर वो चली थी
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।3।