© कागज़ लाओ, कलम लाओ, दवात लाओ।
ख़यालो की एक बड़ी-सी बारात लाओ।
दुल्हन की तरह सजा दो इन ख़यालो को।
यूँ उथल पुथल मच जाए, ऐसी बात लाओ।
कोई पूछेगा नहीं तुमको, अगर कचरा लिखोगे।
कवि हो तुम तो, कवि के जज़्बात लाओ।
तुम्हारी कल्पना हो परे उस आसमाँ से।
रवि की आग भी बुझ जाए वो बरसात लाओ।
तवायफ़ भी गुनगुनाए तेरे गीतों को।
भिखारी भी गुनगुना दे, वो अनुपात लाओ।
जग याद रखे तुमको यहाँ अरसों तक।
अपनी लेखनी में तुम वही सौगात लाओ।
बहुत अँधेरे जो देखें है जीवन में तो।
अब सुखों की भी तो "हरि" बरसात लाओ।
--- Hariram Regar
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कविता: काव्य रचना
कविता की शुरुआत बेहद गहरी भावनाओं से होती है, जो कवि के भीतर उथल-पुथल मचाने वाले विचारों को उजागर करती है। "कागज़ लाओ, कलम लाओ, दवात लाओ," ये शब्द इस बात का प्रतीक हैं कि कवि अपने भीतर के विचारों को शब्दों में ढालना चाहता है। ये कविता केवल कागज और कलम की नहीं है, बल्कि उन विचारों की है जो जीवन में प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।
कवि के जज़्बात और लेखनी का महत्व
कविता लिखना एक कला है, लेकिन उससे भी बढ़कर यह कवि की आत्मा का प्रतिबिंब होता है। जब कवि कहता है, "ख़यालो की एक बड़ी-सी बारात लाओ," तो वह यह जताना चाहता है कि विचारों का असीमित प्रवाह हो, जो एक भव्य बारात की तरह हो। विचार केवल विचार नहीं होते, वे जीवन की सच्चाईयों और कल्पनाओं का मेल होते हैं।
कवि आगे कहता है, "दुल्हन की तरह सजा दो इन ख़यालो को," यह बताता है कि विचारों को केवल शब्दों में व्यक्त करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें एक सुंदर और व्यवस्थित रूप में पेश करना आवश्यक है। लेखनी का महत्व यहां पर स्पष्ट होता है, जहाँ कवि यह दिखाता है कि कैसे एक सुंदर कविता समाज में उथल-पुथल मचा सकती है, बशर्ते वह दिल से निकले और उसमें वास्तविकता की झलक हो।
लेखन में गहराई और सार्थकता का महत्व
"कोई पूछेगा नहीं तुमको, अगर कचरा लिखोगे," यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि आज के समय में लेखन को सार्थकता और गहराई देनी अत्यंत आवश्यक है। कवि का काम केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि उन शब्दों के माध्यम से जीवन का वास्तविक चित्रण करना है। यदि लेखन में भावनाओं की गहराई नहीं होगी, तो उसे कोई महत्व नहीं देगा।
कल्पना की उड़ान और लेखन की शक्ति
कवि की कल्पना की उड़ान अनंत होनी चाहिए, "तुम्हारी कल्पना हो परे उस आसमाँ से," ये पंक्तियाँ इस बात को दर्शाती हैं कि कवि की सोच और कल्पना सीमाओं से परे होनी चाहिए। लेखन की ताकत इतनी होनी चाहिए कि वह रवि की आग को भी बुझा सके और एक नई दिशा दे सके।
समाज और लेखनी का संबंध
कवि की लेखनी का असर समाज पर भी होना चाहिए। "तवायफ़ भी गुनगुनाए तेरे गीतों को," यह पंक्ति दर्शाती है कि अगर लेखन में ताकत हो, तो वह समाज के हर वर्ग तक पहुँच सकता है। वह गीत केवल कवियों या कलाकारों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि भिखारी भी उसे गुनगुना सकता है।
सृजनात्मकता की सौगात
कवि की यह कविता इस बात की याद दिलाती है कि लेखनी में एक विशेष प्रकार की सौगात होनी चाहिए, "अपनी लेखनी में तुम वही सौगात लाओ।" यह सौगात वह अमूल्य धरोहर है, जिसे कवि अपने जीवन के अनुभवों और संवेदनाओं के माध्यम से प्रस्तुत करता है। यह सौगात सदियों तक जीवित रहती है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है।
आशा और विश्वास की बरसात
कविता के अंतिम भाग में, कवि जीवन में देखे गए अंधेरे की बात करता है और साथ ही सुखों की बरसात की कामना करता है। यह पंक्ति "अब सुखों की भी तो 'हरि' बरसात लाओ," हमें जीवन में सकारात्मकता और आशा बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष
इस कविता के माध्यम से कवि ने अपने विचारों और भावनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है। यह कविता हमें यह सिखाती है कि लेखन में गहराई, सृजनात्मकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का होना आवश्यक है। अगर आप भी लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो इस कविता से प्रेरणा लें और अपनी लेखनी में वह शक्ति लाएं, जो सदियों तक याद रखी जाए।
-Team HindiPoems.in
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