4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar ************************************************ कभी मक्की, कभी गेंहूँ, कभी है ज्वार की रोटी। मेरी माता बनाती है, कभी पतली, कभी मोटी। मगर क्या स्वाद आता है, भले वो जल गई थोड़ी। नसीबों में कहाँ सब के, है माँ के हाथ की रोटी।। ©Hariram Regar ************************************************ कोई नफ़रत है फैलाता, कोई बाँटे यहाँ पर प्यार। कहानी और किस्सों से खचाखच है भरा संसार। यहाँ कुछ लोग अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने फिरते। मगर किस्से नहीं कहते जहाँ खुद ही है वो गद्दार।। ©Hariram Regar ************************************************ कोई जीने को खाता है, कोई जीता है खाने को। कोई कौड़ी बचाता है, कोई खर्चे, दिखाने को। अमीरी और गरीबी में यहाँ बस फ़र्क़ इतना है, कोई दौड़े कमाने को, कोई दौड़े पचाने को।। ©Hariram
तुझको आगे ही चलना है , तुझको आगे ही रहना है। बस सोच यही रखना तू अपनी , तुझे पीछे कभी न रहना है॥ 1 ॥ तू शुरू से आगे चलता था , तू अब भी आगे चलता है। तू रोक न अपने कदमों को , तुझे आगे भी आगे चलना है॥ 2 ॥ बहकाने वाले खूब मिलेगें , तुझको कभी न बहकना है। हर मुश्किल में तुझे चलना है , हर हालत में तुझे चलना है॥ 3 ॥ मत रोकना अपनी कदम ताल को , अब तेज़ बना तू अपनी चाल को। इतना धीमा मत चलना तू , श्रम से तर कर अपनी भाल को॥ 4 ॥ कितने ही संकट सामने आये, उनसे कभी न डरना है। जो डरता है वो मरता है , तुझे स्वाभिमान संग रखना है॥ 5 ॥ तुझे दर्भ कभी न करना है , मन को दु : ख से नहीं भरना है। इस प्रतियोगिता के सागर में , तुझे ऊपर ही ऊपर तरना है॥ 6 ॥ मत हार किसी से मानना तू , बस कर्म को अच्छा करना है। मत करना तू श्रम मे कंजूसी , इस बात को मन में धरना है॥ 7 ॥ यह दौड़ लगी , यह होड़ लगी , तुझे इसमें अब