तुझको आगे ही चलना है , तुझको आगे ही रहना है। बस सोच यही रखना तू अपनी , तुझे पीछे कभी न रहना है॥ 1 ॥ तू शुरू से आगे चलता था , तू अब भी आगे चलता है। तू रोक न अपने कदमों को , तुझे आगे भी आगे चलना है॥ 2 ॥ बहकाने वाले खूब मिलेगें , तुझको कभी न बहकना है। हर मुश्किल में तुझे चलना है , हर हालत में तुझे चलना है॥ 3 ॥ मत रोकना अपनी कदम ताल को , अब तेज़ बना तू अपनी चाल को। इतना धीमा मत चलना तू , श्रम से तर कर अपनी भाल को॥ 4 ॥ कितने ही संकट सामने आये, उनसे कभी न डरना है। जो डरता है वो मरता है , तुझे स्वाभिमान संग रखना है॥ 5 ॥ तुझे दर्भ कभी न करना है , मन को दु : ख से नहीं भरना है। इस प्रतियोगिता के सागर में , तुझे ऊपर ही ऊपर तरना है॥ 6 ॥ मत हार किसी से मानना तू , बस कर्म को अच्छा करना है। मत करना तू श्रम मे कंजूसी , इस बात को मन में धरना है॥ 7 ॥ यह दौड़ लगी , यह होड़ लगी , तुझे इसमें अब
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।3।