कफ़न बँधे है माथे पर। चाप-तीर, असि-ढाल रखे है। हम शेरों से भी भिड़ जाएँ। शौक गज़ब के पाल रखे है। अरि आँख उठाकर देखे हम पर खून हमारी नस नस में खोले। "हम स्वाभिमान संग जीते है"- इस मिट्टी का कण-कण बोले। हम आन, बान और शान के ख़ातिर अपनी जान भी सहज लुटाते है। हम मर जाएँ, मिट जाएँ लेकिन, इज़्ज़त ना दाव लगाते है। हम ज़ौहर करना सहज समझते, बजाय हम बैरी के हो लें। "हम स्वाभिमान संग जीते है"- इस मिट्टी का कण-कण बोले। अंगुल-बांस के मापन से यहाँ "पृथ्वी" तीर चलाते है। बरदाई का दोहा सुनकर गोरी को मार गिराते है। बक्षीश मिले ना जयचन्दों को पग रिपुओं के डगमग डोले। "हम स्वाभिमान संग जीते है"- इस मिट्टी का कण-कण बोले। यहाँ राणा का भाला भारी है। यहाँ मीरा की भक्ति न्यारी है। माँ पन्ना का त्याग अमोल यहाँ। यहाँ वीर जणे वो नारी है। ना नसीब रहे भले घास की रोटी पर राणा का ना मन डोले। "हम स्वाभिमान संग जीते है"- इस मिट्टी का कण-कण बोले। थकी नहीं हैं कलम "हरि" की राजस्थान का गौरव गाते-गाते। एक से बढ़कर एक शूरमा यहाँ इतिहास के पन्
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।3।