स्वाभिमान(Self Respect)
जिस दिन तेरे हाथ में लाठी होगी
जिस दिन तेरी साँझ ढलेगी
वो दिन कितना प्यारा होगा?
जिस दिन तू "हरि" से मिलेगी
ये लब्ज़ तेरे है, वचन तेरे है
इन वचन पे आँच न लाऊँगा
मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला
मान नहीं खो पाऊँगा
जो तेरा मेरा यह रिश्ता है
इसका तुझको कोई भान नहीं
मेरे गाँव से तेरा क्या नाता
इसका भी तुझको ध्यान नहीं
और तेरे गाँव में तेरा "सब कुछ" है
ये बात मैं कैसे पचाऊँगा?
मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला
मान नहीं खो पाऊँगा
ये इत्तिफ़ाक रहा या मक़सद था
इस ज्ञान का मैं मोहताज़ नहीं
मैं ज़मीं पे चलता मानव हूँ।
तेरे जैसा अकड़बाज़ नहीं
जिस घर में कोई मान न हो
उस घर आँगन न जाऊँगा
मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला
मान नहीं खो पाऊँगा
--- Hariram Regar
#SundayPoetry
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