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Showing posts from February, 2022

Jai Mahakal || जय महाकाल || Hariram Regar

मैं सुबह-सवेरे साँझ-अँधेरे, तेरा ध्यान लगाता हूँ।  हे महाकाल! तेरे चरणों में अपना शीश झुकाता हूँ।   हे गरलधर! हे नीलकण्ठ! तुम पूरे विश्व विधाता हो।  राख-भभूति से लथपथ हो, भाँग के पूरे ज्ञाता हो।  गले में माला शेषनाग की, विष्णु के तुम भ्राता हो।  बड़ा सहारा भक्तों का हो, सब याचक तुम दाता हो।  सोच यही हर पल, हर क्षण, मैं जमकर धूम मचाता हूँ। हे महाकाल! तेरे चरणों में अपना शीश झुकाता हूँ।    हे जटाधारी, कैलाशपति! तुम सृष्टि के महानायक हो।  हे स्वरमयी महाकाल अनघ! तुम ताँडव के महागायक हो।  तुम गंगाधर, तुम चन्द्रशेखर, तुम त्रिअक्षी, तुम हो अक्षर।  हे शूलपाणि! हे उमापति! हे कृपानिधि! हे शिव शंकर! तेरे नाम अनेकों है जग में, उन नाम को मैं जप जाता हूँ।  हे महाकाल! तेरे चरणों में अपना शीश झुकाता हूँ।  हे व्योमकेश महासेनजनक! हे गौरीनाथ! हे पशुपति! हे वीरभद्र! हे पंचवक्त्र! हे मृत्युंजय! हे  पुरारति! हे वामदेव! हे सुरसूदन! हे भुजंगभूषण! हे भगवन! हे प्रजापति! हे शिव शम्भू! हे सोमसूर्यअग्निलोचन! हाँ तू है "हरि",  हूँ ...

अकेले मत आना (Akele Mat Aana) | By Hariram Regar

अकेले मत आना मनका खोजन-योजन तू , हर बार कूदता सागर में। तेरी श्वास फूलती दम घुटता, तू बाहर आता  पलभर में। अब धीरज रख और हिम्मत कर, इस बार तो गहरा ही जाना। हर बार लौटता खाली तू। इस बार तू खाली मत आना। इस बार अकेले मत आना ।। 1 ।।  जब लक्ष्य तुम्हारा चिड़ियाँ हो या लक्ष्य तुम्हारा मछली हो। तुम इसके सिवा  कुछ  ना देखो, यह कोशिश  तुम्हारी  असली हो। तुम अर्जुन ना बन पाओ तो भी, एकलव्य  ही बन जाना। हर बार चूक जाते हो तुम, इस बार सटीक ही बाण लगाना।  इस बार हारकर मत आना, इस बार अकेले मत आना ।। 2 ।। तू चींटी बन, तू बगुला बन। तू लक्ष्य के ख़ातिर पगला बन। तू कल को भूल और आज में जी। ना पिछले ग़म के आँसू पी। है आज की विपदा, कल का अवसर।  नहीं रुकते ये लम्बा अक़सर। अब तोते वाली छोड़ गुलामी। बन बाज़ अकेले  उड़ जाना।  हर बार लौटता खाली तू। इस बार सफ़लता संग लाना ।  इस बार जीत कर ही आना ।  इस बार अकेले मत आना  ।। 3 ।। ---Hariram Regar #SundayPoetry With Hariram Regar looking for pearls ...

प्यारा मेरा गाँव (Pyaara Mera Gaanv) | By Hariram Regar

प्यारा मेरा गाँव  यहाँ कड़वी नीम-निंबौली है।  पर मीठी यहाँ की बोली है।  बचपन की यहाँ पे यारी है और पचपन की भी टोली है।  यहाँ  अपने सखा संग कान्हा है।  जिनके धूल से लथपथ पाँव है।  वो नन्हा मेरा गाँव है।  वो प्यारा मेरा गाँव है।।1।। इस गाँव में पतली गलियाँ है।  यहाँ कोमल कोमल कलियाँ है।  यहाँ खेतों में पगडण्डी है।  पेड़ों की छाया ठण्डी है।  शहरों की चमक-दमक से दूर, यहाँ अपनापन का भाव है।  वो नन्हा मेरा गाँव है।  वो प्यारा मेरा गाँव है।।2।। यहाँ होली है, दिवाली है।  चहुँ ओर बड़ी हरियाली है।  यहाँ कान्हा की भी गैय्या है, और यशोदा मैय्या है। यहाँ डाली-डाली झूले है। जहाँ बरगद की ठंडी छाँव है।  वो नन्हा मेरा गाँव है।  वो प्यारा मेरा गाँव है।।3।। यहाँ पणिहारिन का पनघट है।  और हैण्डपम्प की खटपट है।  यहाँ तुलसी घर-आँगन में है।  मेहमानी-भाव भी मन में है।  यह परिवारों का आँचल है।  जहाँ बड़ा ही आदर भाव है।   वो नन्हा मेरा गाँव है।  वो प्यारा मेरा गाँव है।।4।। यहाँ हुक्के वाली...

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जय चित्तौड़(गीत)

'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की,  दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar ************************************************ कभी मक्की, कभी गेंहूँ, कभी है ज्वार की रोटी।  मेरी माता बनाती है, कभी पतली, कभी मोटी।  मगर क्या स्वाद आता है, भले वो जल गई थोड़ी।  नसीबों में कहाँ सब के, है माँ के हाथ की रोटी।।                                                                                                 ©Hariram Regar ************************************************ कोई नफ़रत है फैलाता, कोई बाँटे यहाँ पर प्यार।  कहानी और किस्सों से खचाखच है भरा संसार।  यहाँ कुछ लोग अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने फिरते।  मगर किस्से नहीं कहते जहाँ खुद ही है वो गद्दार।।               ...

Self Respect || By Hariram Regar

स्वाभिमान(Self Respect)  जिस दिन तेरे हाथ में लाठी होगी। जिस दिन तेरी साँझ ढलेगी। वो दिन कितना प्यारा होगा? जिस दिन तू "हरि" से मिलेगी। ये लब्ज़ तेरे है, वचन तेरे है। इन वचन पे आँच न लाऊँगा। मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला। मान नहीं खो पाऊँगा। जो तेरा मेरा यह रिश्ता है।  इसका तुझको कोई भान नहीं। मेरे गाँव से तेरा क्या नाता? इसका भी तुझको ध्यान नहीं। और तेरे गाँव में तेरा "सब कुछ" है। ये बात मैं कैसे पचाऊँगा? मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला  मान नहीं खो पाऊँगा। ये इत्तिफ़ाक रहा या मक़सद था ?  इस ज्ञान का मैं मोहताज़ नहीं। मैं ज़मीं पे चलता मानव हूँ, तेरे जैसा अकड़बाज़ नहीं।  जिस घर में कोई मान न हो,  उस घर आँगन न जाऊँगा।  मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला  मान नहीं खो पाऊँगा। कितने घूँट ज़हर के पीऊँ? कितने झूठ सहन कर जीऊँ? मैं सीना ठोक के चलने वाला  ये ज़मीर ना माने झुक के जीऊँ। अरे झुकने को सौ बार झुकूँ मैं। पर हर बार नहीं झुक पाऊँगा। मैं खुद को ज़िन्दा रखने वाला मान नहीं खो पाऊँगा। --- Hariram Regar #SundayPoetry