तुझको आगे ही चलना है,
तुझको आगे ही रहना है।
बस सोच यही रखना तू अपनी,
तुझे पीछे कभी न रहना है॥1॥
तू शुरू से आगे चलता था,
तू अब भी आगे चलता है।
तू रोक न अपने कदमों को,
तुझे आगे भी आगे चलना है॥2॥
बहकाने वाले खूब मिलेगें,
तुझको कभी न बहकना है।
हर मुश्किल में तुझे चलना है,
हर हालत में तुझे चलना है॥3॥
मत रोकना अपनी कदम ताल को,
अब तेज़ बना तू अपनी चाल को।
इतना धीमा मत चलना तू,
श्रम से तर कर अपनी भाल को॥4॥
कितने ही संकट सामने आये,
उनसे कभी न डरना है।
जो डरता है वो मरता है,
तुझे स्वाभिमान संग रखना है॥5॥
तुझे दर्भ कभी न करना है,
मन को दु:ख से नहीं भरना है।
इस प्रतियोगिता के सागर में,
तुझे ऊपर ही ऊपर तरना है॥6॥
मत हार किसी से मानना तू,
बस कर्म को अच्छा करना है।
मत करना तू श्रम मे कंजूसी,
इस बात को मन में धरना है॥7॥
यह दौड़ लगी,यह होड़ लगी,
तुझे इसमें अब नहीं रुकना है।
जितनी शक्ति हो तुझमें उससे
ज्यादा प्रयास तुझे करना है॥8॥
ज़रा सोच तू अपने मात-पिता की,
वे कितना परिश्रम करते है।
धरती-आसमाँ को एक करके,
तुझे कितना अदा वे करते है॥9॥
उनकी मेहनत देख देखकर,
तुझको भी मेहनत करनी है।
ले दृढ़ संकल्प,कर कठोर परिश्रम,
बस आगे तुझको बढ़ना है॥10॥
ईश्वर भी तेरा साथ देगा,
बस कठोर परिश्रम करना है।
अब क्षण भर भी तुझे नहीं गँवाना,
यही अंतिम मेरा कहना है॥11॥
तुझको आगे ही चलना है,
तुझको आगे ही रहना है।
रफ़्तार तेज़ करलो अपनी,
बस तुझको आगे चलना है||12||
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