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ख़ास अभी तक रचा नहीं | Khaas abhi tk rachaa nhi | By Hariram Regar

 © कुछ दर्द मिले, कुछ ग़म खाए। 

कुछ दुःख के बादल मण्डराएं। 

कुछ रहा तिमिर, कुछ कटी निशाएँ। 

और घूम रहा हूँ दसों दिशाएँ। 

कुछ गीत ग़जल के सिवा मेरे

अब झोली में कुछ बचा नहीं। 

मुझे रचना था कुछ खास मग़र 

वो ख़ास अभी तक रचा नहीं। 


कुछ रंज लिखे, कुछ तंज़ लिखे ,

कुछ लिखे भाव अपने मन के। 

कुछ नैन मिले, कुछ इश्क हुआ

कुछ भाव मिले थे तन मन के। 

ये लिखते लिखते कलम घिसी 

अब कागज़ कौरा बचा नहीं। 

मुझे रचना था कुछ खास मग़र 

वो ख़ास अभी तक रचा नहीं।

---Hariram Regar


“ख़ास अभी तक रचा नहीं” – एक हिंदी कविता की आत्ममंथन

हिंदी कविता का संसार अत्यंत विविध और संवेदनशील होता है। इसमें एक कवि की भावनाएँ और अनुभव शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को व्यक्त करते हैं। हिंदी कविताओं की दुनिया में, कवि हरिराम रेगर की रचनाएँ विशेष स्थान रखती हैं। उनकी कविता “ख़ास अभी तक रचा नहीं” उसी भावनात्मक गहराई का एक बेहतरीन उदाहरण है।

इस हिंदी कविता में, कवि ने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त किया है। यह कविता दर्द, ग़म, और दुःख की अनुभूतियों को सुंदरता के साथ बुनती है। यह हिंदी कविता न केवल व्यक्तिगत भावनाओं को व्यक्त करती है, बल्कि व्यापक मानवीय अनुभव को भी छूती है।

कविता की शुरुआत में कवि एक भावनात्मक यात्रा का चित्रण करते हैं:

कुछ दर्द मिले, कुछ ग़म खाए। 

कुछ दुःख के बादल मण्डराएं। 

कुछ रहा तिमिर, कुछ कटी निशाएँ। 

और घूम रहा हूँ दसों दिशाएँ। 

कुछ गीत ग़जल के सिवा मेरे

अब झोली में कुछ बचा नहीं। 

मुझे रचना था कुछ खास मग़र 

वो ख़ास अभी तक रचा नहीं।

यह हिंदी कविता उस निरंतर खोज को दर्शाती है, जो एक कवि के मन में चलती रहती है। कवि अपने अनुभवों को शब्दों में ढालते हुए यह महसूस करते हैं कि बहुत कुछ देखने के बाद भी, वह एक विशेष रचना नहीं कर पाए हैं।

कविता के अगले हिस्से में, कवि अपने अनुभवों और भावनाओं को शब्दों में ढालते हैं:

कुछ रंज लिखे, कुछ तंज़ लिखे ,

कुछ लिखे भाव अपने मन के। 

कुछ नैन मिले, कुछ इश्क हुआ

कुछ भाव मिले थे तन मन के। 

ये लिखते लिखते कलम घिसी 

अब कागज़ कौरा बचा नहीं। 

मुझे रचना था कुछ खास मग़र 

वो ख़ास अभी तक रचा नहीं।

यह हिंदी कविता कवि की कलम की थकावट और उसके अनुभवों की गहराई को दर्शाती है। कवि मानते हैं कि बहुत कुछ लिखने के बावजूद, वह एक विशेष रचना को पूरा नहीं कर पाए हैं।

हरिराम रेगर की इस हिंदी कविता में एक विशेष किस्म की आत्ममंथन और निरंतर प्रयास की भावना को महसूस किया जा सकता है। यह कविता उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी भावनाओं को एक खास रचना में ढालने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर आप भी हिंदी कविताओं की गहराई और संवेदनशीलता का अनुभव करना चाहते हैं, तो हरिराम रेगर की यह रचना आपके दिल को छूने वाली होगी। इस हिंदी कविता को पढ़कर आप भी अपने अंदर की गहराई को महसूस कर सकते हैं।

- Team HindiPoems.in

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