हम राम राम कहते है
लेकिन राम को सच मे जाने क्या?
राम को सब माने है
लेकिन राम की एक भी माने क्या?
--- Hariram Regar
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राम को समझने की एक नई दिशा
हम राम राम कहते हैं, लेकिन क्या सच में राम को जानते हैं? यह सवाल शायद हर उस व्यक्ति के मन में उठता होगा, जो भगवान राम की भक्ति करता है। राम का नाम सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, एक मार्गदर्शक है, जिसे समझना और अपनाना ज़रूरी है।
राम के नाम का जाप करने से हमारे मन को शांति मिलती है, लेकिन क्या हम राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारते हैं? क्या हम राम की शिक्षाओं को मानते हैं, जिनमें धर्म, सत्य, और कर्तव्य पालन के साथ जीने की बात कही गई है? राम को माने बिना राम को मानने का क्या अर्थ है?
राम का नाम और राम का आदर्श
राम का नाम लेते ही एक पवित्रता का आभास होता है। उनके जीवन का हर पहलू हमें कुछ न कुछ सिखाता है। श्रीराम ने हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दिया, चाहे कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न आईं। उन्होंने अपने परिवार, समाज, और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए धर्म का पालन किया।
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या हम भी उनके इस आदर्श का पालन करते हैं? क्या हम भी अपने जीवन में सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन करते हैं, जैसा कि राम ने किया?
राम को जानने की जरूरत
राम को जानने के लिए सिर्फ उनके नाम का जाप करना काफी नहीं है। हमें उनके जीवन, उनके विचारों, और उनके संघर्षों को समझना होगा। राम का जीवन केवल एक कथा नहीं है, बल्कि वह एक प्रेरणा है, जो हमें बताती है कि सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलना आसान नहीं होता, लेकिन यही सही रास्ता होता है।
निष्कर्ष
हम राम राम कहते हैं, लेकिन राम को सच में जानना और उनके आदर्शों को अपनाना ही सच्ची भक्ति है। केवल नाम लेने से कुछ नहीं होगा, जब तक हम राम के जीवन के सार को नहीं समझते और उसे अपने जीवन में नहीं उतारते। राम की एक भी माने बिना राम को मानने का क्या अर्थ? यही सोचने का समय है कि हम राम को कैसे अपना सकते हैं, न केवल शब्दों में, बल्कि अपने कर्मों में भी।
राम के आदर्शों को जीवन में अपनाइए और उन्हें सच्चे अर्थों में जानिए। यही सच्ची भक्ति और राम को मानने का सही तरीका है।
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