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अमर जवान | by Hariram Regar

अमर जवान

लाखों ने है लहूँ बहाया,
लाखों ने है डंडा खाया,
अंग्रेज़ों के उस शासन को
जड़-मूल से काट भगाया
सबकी एक अभिलाषा थी
भारत आज़ाद परिंदा हो
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों ,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।1।।

किसी ने गोली खाई थी
तो किसी को फांसी लगायी
कटा दिए थे सिर अपने
भारत की शान बढ़ायी
बड़ी अच्छी थी सोच तुम्हारी
"चाहे हमारी निंदा हो "
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों ,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।2।।

अपनाई स्वदेशी चीजें
विदेशी चीज़ों में आग लगायी
छोड़ दिये सबने दफ्तर सारे
असहयोग की राह अपनायी
साथ दिया था दिल से तुमने
चाहे हिन्दू चाहे मुस्लिम बन्दा हो
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों ,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।3।।
  ---Hariram Regar
*********************

अमर जवान: एक समर्पण

भारत की आजादी का इतिहास शौर्य, बलिदान और वीरता की अनगिनत कहानियों से भरा पड़ा है। उन सभी वीरों को, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश को स्वतंत्रता दिलाई, हम हमेशा नमन करते हैं। ऐसे ही वीरों की स्मृति को समर्पित एक कविता "अमर जवान" है, जिसमें उनके बलिदान को शब्दों में ढालने की कोशिश की गई है।

लाखों ने है लहूँ बहाया,
लाखों ने है डंडा खाया,
अंग्रेज़ों के उस शासन को
जड़-मूल से काट भगाया।
सबकी एक अभिलाषा थी
भारत आज़ाद परिंदा हो,
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।

जब अंग्रेज़ों का शासन अपने चरम पर था, तब भारत के लाखों वीर सपूतों ने अपने खून का एक-एक कतरा इस धरती मां को समर्पित कर दिया। देश की आजादी की लालसा, उनकी रगों में दौड़ रही थी, और उनकी ये मंशा थी कि भारत स्वतंत्र हो, जैसे आकाश में उन्मुक्त पक्षी।

किसी ने गोली खाई थी,
तो किसी को फांसी लगायी।
कटा दिए थे सिर अपने,
भारत की शान बढ़ायी।
बड़ी अच्छी थी सोच तुम्हारी,
"चाहे हमारी निंदा हो"
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।

ये वो वीर थे, जिन्होंने मौत को गले लगाया, अपने सिर कटवाए, और हर दर्द को हंसते-हंसते सहा। उनकी सोच इतनी पवित्र थी कि उन्होंने कभी निंदा या प्रशंसा की चिंता नहीं की, बस देश की शान को सर्वोपरि रखा।

अपनाई स्वदेशी चीजें,
विदेशी चीज़ों में आग लगायी।
छोड़ दिये सबने दफ्तर सारे,
असहयोग की राह अपनायी।
साथ दिया था दिल से तुमने,
चाहे हिन्दू चाहे मुस्लिम बन्दा हो,
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।

अमर जवानों ने स्वदेशी वस्त्र धारण किए, विदेशी सामान का बहिष्कार किया, और हर संभव तरीके से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। उन्होंने असहयोग आंदोलन के माध्यम से एकता की मिसाल पेश की, चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, सबने एकजुट होकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।

नमन है वीरों को

इस कविता के माध्यम से कवि हरीराम रेगर ने उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, वे आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं और हमेशा रहेंगे। यह कविता हमें याद दिलाती है कि हमारे अमर जवान कभी नहीं मरते, वे अमर हैं और हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

समापन

आज हमें उन वीर जवानों की वीरता और उनके बलिदान को याद रखना चाहिए, जिन्होंने हमें आजादी दिलाई। उनके संघर्षों और त्याग को नमन करते हुए, हमें भी अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए।

- Team HindiPoems.in

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