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क्यों अँधकार में बैठे हो ? kyo andhakaar me baithe ho ? By Hariram Regar

  ©मुझको जो कहना था वो तो

उस  दिन ही सब कह डाला। 

अब तुझको भी कुछ कहना हो तो 

जल्दी से तुम कह डालो। 

कुछ कौड़ी जो है जेब में तेरे 

क्या उस पर ही तुम ऐंठे हो ?

कुछ बात करो कुछ निर्णय लो 

क्यों अँधकार  में बैठे हो ?


कुछ राग रहा हो और अगर 

वो राग भी तुम अब कह डालो। 

और आग भरी हो सीने में तो 

उसको भी तुम बाहर निकालो। 

क्यों रोज रोज ही खटपट हो 

क्यों रोज रोज ही टें-टें  हो?

कुछ बात करो कुछ निर्णय लो 

क्यों अँधकार  में बैठे हो ?


कब तक हाँकोगे उसको?

इसकी समय अवधि भी निश्चित है?

अरे हाय ! तुम्हारी बेशर्मी 

मेरे गाँव में तो ये चर्चित है। 

वो बने तुम्हारे आदर्शी 

तुम बने उसके घुसपैठे हो। 

कुछ बात करो कुछ निर्णय लो 

क्यों अँधकार  में बैठे हो ?

--- Hariram Regar

*************************************

कभी-कभी जीवन में ऐसा समय आता है जब हमें सब कुछ साफ-साफ कह देना चाहिए। जैसे कि एक कविता कहती है:

"मुझको जो कहना था वो तो  

उस दिन ही सब कह डाला।  

अब तुझको भी कुछ कहना हो तो  

जल्दी से तुम कह डालो।"

यह पंक्तियाँ हमें सिखाती हैं कि अगर हमारे मन में कोई बात है, तो उसे दबाने के बजाय खुलकर कह देना चाहिए। क्योंकि जब हम अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करते हैं, तब ही हम जीवन के अंधकार से बाहर निकल सकते हैं।

कई बार हम छोटी-छोटी चीज़ों में उलझ जाते हैं और अपने आप को दूसरों से बेहतर समझने लगते हैं:

"कुछ कौड़ी जो है जेब में तेरे  

क्या उस पर ही तुम ऐंठे हो?"

यह पंक्तियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि जीवन में पैसे और संपत्ति से ज़्यादा महत्व हमारे निर्णयों और संबंधों का है। यदि आपके पास कुछ महत्वपूर्ण है, तो उसे सही दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए, न कि उस पर घमंड करना चाहिए।

हमारी जिंदगी में कुछ भावनाएं और विचार होते हैं जिन्हें हमें दबाना नहीं चाहिए:

"कुछ राग रहा हो और अगर  

वो राग भी तुम अब कह डालो।  

और आग भरी हो सीने में तो  

उसको भी तुम बाहर निकालो।"

यदि आपके अंदर कोई संघर्ष या भावना है, तो उसे समय रहते बाहर निकाल लेना चाहिए। वरना वो आपके अंदर ही जलती रहेगी और आपको भीतर से खा जाएगी। हर रोज़ की टेंशन और खटपट को छोड़कर, हमें अपने जीवन को सरल और सुखद बनाना चाहिए।

"कुछ बात करो कुछ निर्णय लो  

क्यों अँधकार  में बैठे हो?"

यह पंक्तियाँ एक सीधी सी बात कहती हैं: जब तक आप किसी समस्या का सामना नहीं करेंगे और उस पर निर्णय नहीं लेंगे, तब तक आप अंधकार में ही रहेंगे। इसलिए, जीवन में निर्णय लेना और संवाद करना बहुत जरूरी है।

अंत में, यह कविता हमें यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए। कोई भी समस्या स्थायी नहीं होती, लेकिन हमारी बेशर्मी और आलस्य से हम उसे बड़ा बना सकते हैं। 

"कब तक हाँकोगे उसको?  

इसकी समय अवधि भी निश्चित है।  

अरे हाय ! तुम्हारी बेशर्मी  

मेरे गाँव में तो ये चर्चित है।"

इन पंक्तियों से स्पष्ट है कि हमें अपनी कमजोरियों और गलतियों को समझकर उन्हें सुधारना चाहिए। यदि हम समय रहते सही निर्णय लेते हैं, तो हम जीवन की अंधकार से बाहर आ सकते हैं और एक सुखद जीवन जी सकते हैं। 

इसलिए, अब समय है कि आप अपनी बात कहें, निर्णय लें और जीवन के अंधकार से बाहर निकलें।

-Team HindiPoems.in

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