उनको अपने आग़ोश में लूँगा यह आशा है।
अरसों बीत गए है उनसे रूबरू हुए।
अब बिन पल गँवाये मिल आने की जिज्ञासा है।
उनके रूप का दीदार तो हमेशा करता हूँ।
लेकिन हक़ीकत देखने को दिल प्यासा है।
रोना धोना तो बिछड़न में हो ही जाता है।
लेकिन मिलन का वक़्त है, बड़ा सोणा-सा है।
पता नहीं वो कैसी होगी मुझसे दूर रहकर।
सोचता हूँ ठीक होगी यह दिल को दिलासा है।
अब जल्दी से मिलने की तलब लगी है दिल में।
वक्त भी बहुत हो गया और अब शीतवासा है।
By Hariram Regar
waah yrr kavi kya baat hai
ReplyDeleteAchya bhai kya baat h...शीतवासा,,, tabi jyada milan ki lgi hui h kya
ReplyDeleteHa bhai esa hi kuch hai....
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