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4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar ************************************************ कभी मक्की, कभी गेंहूँ, कभी है ज्वार की रोटी।  मेरी माता बनाती है, कभी पतली, कभी मोटी।  मगर क्या स्वाद आता है, भले वो जल गई थोड़ी।  नसीबों में कहाँ सब के, है माँ के हाथ की रोटी।।                                                                                                 ©Hariram Regar ************************************************ कोई नफ़रत है फैलाता, कोई बाँटे यहाँ पर प्यार।  कहानी और किस्सों से खचाखच है भरा संसार।  यहाँ कुछ लोग अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने फिरते।  मगर किस्से नहीं कहते जहाँ खुद ही है वो गद्दार।।                                                                              ©Hariram Regar ************************************************ कोई जीने को खाता है, कोई जीता है खाने को। कोई कौड़ी बचाता है, कोई खर्चे, दिखाने को। अमीरी और गरीबी में यहाँ बस फ़र्क़ इतना है, कोई दौड़े कमाने को, कोई दौड़े पचाने को।।                                                                             ©Hariram

प्रात: काल

प्रात: काल

जग सोया था गहन निद्रा में ,
ओढ़ा रजनी ने कम्बल काला।
क्षितिज से अब आ रहा है ,
जग को जगाने वाला।

देखो अँधेरा भाग रहा है,
अरुण अभी अभी आया है।
प्राची के आँगन में फैला ,
कुमकुम हल्दी छाया है।

प्राची ने अब घूँघट खोला,
मुखारविंद की फैली आभा है।
प्रकृति वधू ने वेश है बदला,
तन पर रश्मियों का छापा है।

सब जग प्राणी जाग गए है,
खगों ने मधुर कलरव कर डाला।
चटक चटक कर पुष्प है खिलते,
गुँजन करता भौंरा मतवाला।

तितलियाँ कलियों को चूमें,
सर में कमल खिल जाते हैं।
ऊँचे ऊँचे मुंडेरों पर,
केकाकर मयूर नृत्य दिखाते है।

फूलों की ख़ुश्बू से पूरित,
मंद मलयानिल बहती है।
इस कालावधि में हर प्राणी में
स्फ़ूर्ति ताज़गी भरी रहती है।

 ---By Hariram Regar



jag soya tha gahan nidra mein ,
odha rajanee ne kambal kaala.

kshitij se ab aa raha hai ,
jag ko jagaane vaala.

dekho andhera bhaag raha hai,
arun abhee abhee aaya hai.
praachee ke aangan mein phaila ,
kumakum haldee chhaaya hai.

praachee ne ab ghoonghat khola,
mukhaaravind kee phailee aabha hai.
prakrti vadhoo ne vesh hai badala,
tan par rashmiyon ka chhaapa hai.

sab jag praanee jaag gae hai,
khagon ne madhur kalarav kar daala.
chatak chatak kar pushp hai khilate,
gunjan karata bhaunra matavaala.

titaliyaan kaliyon ko choomen,
sar mein kamal khil jaate hain.
oonche oonche munderon par,
kekaakar mayoor nrty dikhaate hai.

phoolon kee khushboo se poorit,
mand malayaanil bahatee hai.
is kaalaavadhi mein har praanee mein
sfoorti taazagee bharee rahatee hai.

 ---By Hariram Regar

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'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की,  दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।3।

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