चाँद से गुफ़्तगू तुम्हारी ये जुल्फें, तुम्हारी अदा, तुम्हारी सूरत पर नीरव सदा। तेरी सूरत व सीरत है ऐसे बनी, देखकर मैं तुझको हुआ हूँ फ़िदा। एक मैं हूँ यहाँ , एक तू है यहाँ, खामोशियों का मंज़र भी यहाँ। मैं खोया हूँ तुझमें, ज़रा इस कदर, अब जाऊँ तो भी मैं जाऊं कहाँ। मैं तुझे देखता , तू मुझे देखती। ये ख़ामोशियाँ अब हमें देखती। चुप क्यों हो बैठी, बोलो तो ज़रा, कुछ लब्ज़ मैं फेंकता,कुछ तुम फेंकती। फिर वो मुस्कुराके मेरी इसी बात पर, देखा था उसने आसमां के चांद पर। हम दोनो की ही नज़रे थी तब चांद पर, उसकी अम्बर में थी और मेरी उस पर। मेरे चांद की नज़रे जब चांद से हटी, फिर खामोशियों की बादलियाँ घटी। कुछ उसने कहा, कुछ मैंने कहा। यूँ ही बातों ही बातों में घड़ियाँ कटी। यूँ ही बातों का चश्का फिर चढ़ने लगा, आस-पास का मौसम बिगड़ने लगा। हमारे हालत ज़रा फिर गंभीर से हुए, कि व्योम का चाँद भी बिछड़ने लगा। वो प्यारा सा चाँद बिछड़ता चला, फिर...
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...