लाखों ने है लहूँ बहाया,
लाखों ने है डंडा खाया,
अंग्रेज़ों के उस शासन को
जड़-मूल से काट भगाया
सबकी एक अभिलाषा थी
“भारत आज़ाद परिंदा हो”
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों ,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।1।।
किसी ने गोली खाई थी,
तो किसी को फांसी लगायी।
कटा दिए थे सिर अपने,
भारत की शान बढ़ायी।
बड़ी अच्छी थी सोच तुम्हारी,
"चाहे हमारी निंदा हो।"
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।2।।
अपनाई थी स्वदेशी चीजें,
विदेशी चीज़ों में आग लगायी।
छोड़ दिये सबने दफ्तर सारे,
असहयोग की राह अपनायी।
साथ दिया था दिल से तुमने,
चाहे हिन्दू चाहे मुस्लिम बन्दा हो।
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।3।।
उरी के हमले से तो अब,
हर हिंदुस्तानी का खून खोला था।
“अब नहीं सहन करेंगें इनको”
बच्चा-बच्चा बोला था।
ईंट से ईंट बजा देंगे हम,
चाहे दुश्मन कितना भी चालाक परिंदा हो।
तुम मरे नहीं हो अमर जवानों,
तुम तो दिलों में ज़िंदा हो।।4।।
जय हिन्द!
जय भारत !
जय हिन्द!
जय भारत !
---By Hariram Regar
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