वसन्त यह अरसा बदल रहा है , यह सरसा बन रहा है। यह अपने तन - ज़हन में , सिहरन सा भर रहा है। मैं रहकर इसके आँचल में , खुशियाँ गा रहा हूँ। कागज के कोरे पन्ने पर मैं लिखता जा रहा हूँ। । 1 ।। सुमनों के सुंदर साये में , पेड़ों की पावन छाया में , मैं बैठा हूँ अकेला , हूँ उनसे मिलने आया मैं। पंख लगा उद्भावना के , मैं उड़ता जा रहा हूँ। कागज के कोरे पन्ने पर मैं लिखता जा रहा हूँ। । 2 ।। दॄष्टि डाली दूर तलक , इस फलक से उस फलक , दिख रहा है अलग थलग , छू रहा यह दिल तलक , बैठ करके गीत भ्रमर के , मैं गुन गुना रहा हूँ। कागज के कोरे पन्ने पर मैं लिखता जा रहा हूँ। । 3 ।। कहीं नीमौली निवड़ रही हैं , कहीं मंजरी फूट रही। वृक्षों की टहनी पर देखो , कोमल कलियाँ छूट रही। विलोक्यकर मैं विचित्र द़ृश्य , चित्र इसका बना रहा हूँ। कागज के कोरे पन्ने पर मैं लिखता जा रहा हूँ। । 4 ।। न सर्दी हमको कंपा रही , न गर्मी हमको तपा रही। मैँ उल्फत की बगिय...
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...