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डूबती कश्ती


चाहत के समंदर में वो डूबती कश्ती
तूने उससे चुल्लू भर पानी हटाया नहीं।
कश्ती और पानी के रिश्ते को शायद,
तुम समझ पायी नहीं या मैं समझ पाया नहीं।
मैं हर बार लोटा भर बाहर उड़ेलता
और तुम हो कि कश्ती को छेदती जा रही।
छेदों से  कश्ती छलनी होती जा रही
अब मैं थक गया हूँ, इस कश्ती को बचाते बचाते।
11:00 AM १२/०९/२०१९


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