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Showing posts from November, 2019

पाकिस्तान चले जाओ

_________________________________ पाकिस्तान चले जाओ गीत  हमारे प्यारे है, इन  गीतों को  तुम  दोहराओ। देशद्रोही बनने से पहले, दुष्टों थोड़ा तो घबराओ कई  मन्नतों के  बाद हमें, इक ऐसा  नेता  हाथ  लगा। देश की इज्जत के ख़ातिर, तुम अपने भी कर्तव्य निभाओ। "अच्छे दिन आएंगे" यह पंक्ति तुम बार बार दोहराओ। नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ। संविधान की लाज रखी,अभिव्यक्ति की जहाँ छूट मिली। टीवी, पेपर और  मीडिया यहाँ बड़ी चिरकूट मिली। जहाँ देखो वहाँ जय जय होती, इक लब्ज़ विपरीत नहीं। जय हो तेरे भक्तों की चाचा, आशा बड़ी अटूट मिली। रोजगार के अवसर है अब ,पकोड़ों को सूची में लाओ। और नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ। अच्छे अच्छे नेताओं के थे कार्टून  यूँ बनते। किसी की नाक लम्बी होती, किसी के हाथ तनते। पर अपने इन नेता जी की खबर है इतनी अच्छी। भारत का "फेंकू नंबर वन" है , छप्पन के सीने तनते। ये "मन की बात" बता देते है, तुम सुनने को चले आओ। नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ। पहली बार...

जय चित्तौड़(गीत)

'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की,  दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...

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जय चित्तौड़(गीत)

'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की,  दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं  गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar

4 Line Shayari in Hindi | By Hariram Regar ************************************************ कभी मक्की, कभी गेंहूँ, कभी है ज्वार की रोटी।  मेरी माता बनाती है, कभी पतली, कभी मोटी।  मगर क्या स्वाद आता है, भले वो जल गई थोड़ी।  नसीबों में कहाँ सब के, है माँ के हाथ की रोटी।।                                                                                                 ©Hariram Regar ************************************************ कोई नफ़रत है फैलाता, कोई बाँटे यहाँ पर प्यार।  कहानी और किस्सों से खचाखच है भरा संसार।  यहाँ कुछ लोग अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने फिरते।  मगर किस्से नहीं कहते जहाँ खुद ही है वो गद्दार।।               ...

हम गाँव के देसी छोरे हैं – गांव की मिट्टी से जुड़ी हिंदी कविता | By Hariram Regar

गाँव की मिट्टी का महत्व और उसकी महक भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। चाहे हम कितने ही आधुनिक हो जाएँ, गाँव की मिट्टी की सौंधी खुशबू और वहाँ की सरलता का कोई मुकाबला नहीं है। गाँवों का जीवन, प्रकृति के साथ सामंजस्य और वहाँ के लोगों का मेहनत से भरा हुआ जीवन, हर किसी को सिखाता है कि सादगी में ही असली ख़ुशी है। हिंदी कविता, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, ग्रामीण जीवन को बहुत अच्छे से चित्रित करती है। इसी क्रम में हरिराम रेगर  द्वारा रचित कविता "हम गाँव के देसी छोरे हैं" एक ग्रामीण जीवन का अद्भुत चित्रण है। इस कविता में न केवल गाँव की संस्कृति को, बल्कि वहाँ के लोगों की मेहनत, मिट्टी के प्रति लगाव, और जीवन के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण को भी बखूबी दर्शाया गया है। यह कविता गाँव की सरलता और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रहने वाले लोगों की भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। हम गाँव के देसी छोरे हैं – कविता खेतों में दौड़ें पग नंगे, मिट्टी में बसती जान अपनी। बाबा के संग बैल जोते थे, सींची थी प्यार से धान अपनी। नदियाँ, बगिया, जंगल, पहाड़, हर दृश्य यहाँ स...