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पाकिस्तान चले जाओ

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पाकिस्तान चले जाओ


गीत  हमारे प्यारे है, इन  गीतों को  तुम  दोहराओ।
देशद्रोही बनने से पहले, दुष्टों थोड़ा तो घबराओ
कई  मन्नतों के  बाद हमें, इक ऐसा  नेता  हाथ  लगा।
देश की इज्जत के ख़ातिर, तुम अपने भी कर्तव्य निभाओ।
"अच्छे दिन आएंगे" यह पंक्ति तुम बार बार दोहराओ।
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

संविधान की लाज रखी,अभिव्यक्ति की जहाँ छूट मिली।
टीवी, पेपर और  मीडिया यहाँ बड़ी चिरकूट मिली।
जहाँ देखो वहाँ जय जय होती, इक लब्ज़ विपरीत नहीं।
जय हो तेरे भक्तों की चाचा, आशा बड़ी अटूट मिली।
रोजगार के अवसर है अब ,पकोड़ों को सूची में लाओ।
और नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

अच्छे अच्छे नेताओं के थे कार्टून  यूँ बनते।
किसी की नाक लम्बी होती, किसी के हाथ तनते।
पर अपने इन नेता जी की खबर है इतनी अच्छी।
भारत का "फेंकू नंबर वन" है , छप्पन के सीने तनते।
ये "मन की बात" बता देते है, तुम सुनने को चले आओ।
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

पहली बार ख़ुशी से रहने का मतलब मुझे समझ आया।
जरुरत काम और पैसे की नहीं, यह मुझे समझ आया।
भारत माँ के चरण वंदना कर कोई भी खुश रह सकता है।
"मन की बात" बता कर ही खुश रहना मुझे समझ आया।
कुछ भी लेकर नहीं आये थे, "मत अपना" रौब जमाओ।
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

हर दल को निर्मूल करेंगे, चाहे जितना ध्यान से खेलो।
राजनीती तुम जितनी चाहो, जितने चाहो फंडे पेलो।
साम-दाम-दण्ड-भेद करेंगे, सब के इतने छेद करेंगे।
"सरकार हमारी ही बननी है"यह तो हमसे लिखके लेलो।
वोट नहीं तो नोट सही, "अबकी बार.... " फिर दोहराओ।
और देखो -
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

न खाऊँगा, न खाने दूँगा, पर बैंक लूटकर जाने दूँगा। 
"गरीबी कर" लगवा करके मैं, बैंक को ऊपर लाने दूँगा। 
किसान फांसी खाये तो खाये, सैनिक भाड़ में जाये तो जाये। 
मैं नमक पे पहरा लगवा करके ,शक्कर को सूनी जाने दूँगा। 
अब मेरी ही मनमानी होगी, जनता तुम तो चुप हो जाओ।
और सुनो -
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

भगवा दल ने नैतिकता का चोला उतार के फेंक दिया।
लालच के घेरे में आकर अपना ज़मीर ही बेच दिया।
"मन की बात" में भी अब, पूरे "मन की बात" नहीं होती।
"ललितगेट" के चक्कर में सुषमा - राजे ने कैच किया।
दुनिया को सिखलाने वालों, खुद के लोगों को समझाओ।
नहीं तो फिर बोलोगे ....
नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

महँगाई दर-ब-दर बढ़ रही, दरें आसमान चढ़ रही।
आशाएँ ले बैठे हम, सरकार नवीन नगमे गड़ रही।
मेरी कलम यूँ चल रही, ये रोके से न रुक रही।
हाथों ने साथ छोड़ दिया पर बातें कम न पड़ रही।
"सबका साथ, सबका विकास, कुछ ये गाये कुछ तुम गाओ।
और नाराज़ अगर सरकार से हो तो पाकिस्तान चले जाओ।

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