जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी, पृथ्वी परेशान हैं इससे भारी, चारों ओर फैली हैं बेरोजगारी, पीछे नहीं रही है महामारी, मुँह ताकने की अब है बारी, जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी धरती सिमटकर छोटी हो गयी। पेड़ पनपने की जगह नहीं। खेत देख लो नाम मात्र के , जनसँख्या वृद्धि इसकी वज़ह सही। मानव ने अपने ही पाँव कुल्हाड़ी मारी। जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी रासायनिक खाद उपयोगी इतने, देशी खाद का नाम नहीं। बचे कुचे खेतों की हालत आज देख लो बिगड़ रही। इससे अब धरती है हारी। जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी सुधा सा सलिल देती थी , वे थी नदियाँ गंगा-यमुना। हुई प्रदूषित सारी नदियाँ , पीने का पानी नहीं अधुना। अब अकाल पड़ता बारी बारी। जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी जंगलों में बना दिए है घर, पहाड़ों को कर दिए समतल। हो गए सारे पशु पक्षी बेघर, सुखा दिए समुद्री दलदल। फिर भी रहने की समस्या भारी , जनसंख्या हुई हैं इतनी सारी प्रदूषण ने पाँव पसारा , वाहनों की यह लम्बी कतारें। चलने की भी जगह नहीं है , शहरों की सड़कों के किनारे। व्यस्त पड़ी है सड़कें...
'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा दुश्मन जो अड़ जाए मुझसे , मिट्टी में मिला दूंगा हाँ मिट्टी में मिला दूंगा, उसे मिट्टी में मिला दूंगा 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा शहर हिला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।1 ।। आन बान की बात जो आती , जान भी दाव लगा देते x2 अपनी इज़्जत के खातिर हम, अपना शीश कटा देते X2 हम तो है भारतवासी , न रुकते है, न झुकते है x2 ऊँगली उठी अगर किसी की, दुनिया से उठा देते x2 उसे ऐसा मजा चखाउंगा, कि सब कुछ ही भुला दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूंगा।।2।। मीरा बाई हुई जहाँ पर ,कृष्ण से इसको प्रीत लगी x2 छोड़ दिया घर बार था इसने, दुनिया से न प्रीत लगी x2 ज़हर का प्याला इसने पीया, डरी डरी सी कभी न रही x2 अंत में उससे जा मिली ,जिससे थी इसको प्रीत लगी x2 शक्ति और भक्ति की गाथा सबको मैं सुना दूंगा x2 हाँ 'जय चित्तौड़' मैं गाऊंगा तो, सारा विश्व हिला दूं...